मुजफ्फरपुर

मुज़फ़्फ़रपुर उत्तरी बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल का मुख्यालय तथा मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले का प्रमुख शहर एवं मुख्यालय है। अपने सूती वस्त्र उद्योग, लोहे की चूड़ियों, शहद तथा आम और लीची जैसे फलों के उम्दा उत्पादन के लिये यह जिला पूरे विश्व में जाना जाता है, खासकर यहाँ की शाही लीची का कोई जोड़ नहीं है।[1] यहाँ तक कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी यहाँ से लीची भेजी जाती है। बिहार के जर्दालु आम, मगही पान और कतरनी धान को जीआइ टैग (ज्योग्रफिकल इंडिकेशन) मिल चुका है। अब शाही लीची को भी जल्द जीआइ मिल जाएगा।[2][3]

मुज़फ़्फ़रपुर BIHAR
  महानगर  
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य बिहार
महापौर श्री सुरेश कुमार
सांसद
जनसंख्या
घनत्व
३७४३८३६ (२००१ के अनुसार )
• ९३१
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
३१२२.६ कि.मी²
• ६० मीटर
आधिकारिक जालस्थल: muzaffarpur.nic.in

2017 मे मुज़फ़्फ़रपुर स्मार्ट सिटी के लिये चयनित हुआ है। अपने उर्वरक भूमि और स्वादिष्ट फलों के स्वाद के लिये मुज़फ़्फ़रपुर देश विदेश मे "स्वीटसिटी" के नाम से जाना जाता है। मुज़फ़्फ़रपुर थर्मल पावर प्लांट देशभर के सबसे महत्वपूर्ण बिजली उत्पादन केंद्रो मे से एक है।[4][5]

इतिहास

प्राचीन काल में मुजफ्फरपुर मिथिला (तिरहुत) राज्य का अंग था। बाद में मिथिला में वज्जि गणराज्य की स्थापना हुई। तीसरी सदी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरणों से यह पता चलता है कि यह क्षेत्र काफी समय तक महाराजा हर्षवर्धन के शासन में रहा। उनकी मृत्यु के बाद स्थानीय क्षत्रपों का कुछ समय शासन रहा तथा आठवीं सदी के बाद यहाँ बंगाल के पाल वंश के शासकों का शासन शुरु हुआ जो 1019 तक जारी रहा। तिरहुत पर लगभग 11 वीं सदी में चेदि वंश का भी कुछ समय शासन रहा। सन 1211 से 1226 बीच गैसुद्दीन एवाज़ तिरहुत का पहला मुसलमान शासक बना। चम्पारण के सिमराँव वंश के शासक हरसिंह देव के समय 1323 ईस्वी में तुग़लक वंश के शासक गयासुद्दीन तुग़लक ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया लेकिन उसने सत्ता मिथिला के शासक कामेश्वर ठाकुर को सौंप दी। चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी बिहार का नियंत्रण जौनपुर के राजाओं के हाथ में चला गया जो तबतक जारी रहा जबतक दिल्ली सल्तनत के सिकन्दर लोदी ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं किया। इसके बाद विभिन्न मुग़ल शासकों और बंगाल के नवाबों के प्रतिनिधि इस क्षेत्र का शासन चलाते रहे। पठान सरदार दाऊद खान को हराने के बाद मुगलों ने नए बिहार प्रांत का गठन किया जिसमें तिरहुत को शामिल कर लिया गया।
1764 में बक्सर की लडाई के बाद यह क्षेत्र सीधे तौर पर अंग्रेजी हुकूमत के अधीन हो गया। सन 1875 में प्रशासनिक सुविधा के लिये तिरहुत का गठन कर मुजफ्फरपुर जिला बनाया गया। मुजफ्फरपुर ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में अत्यंत महत्वपूरण भूमिका निभाई है। महात्मा गाँधी की दो यात्राओं ने इस क्षेत्र के लोगों में स्वाधीनता के चाह की नयी जान फूँकी थी। खुदीराम बोस, जुब्बा साहनी तथा [[ पण्डित सहदेव झा जैसे अनेक क्रांतिकारियों की यह कर्मभूमि रही है। 1930 के नमक आन्दोलन से लेकर 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के समय तक यहाँ के क्रांतिकारियों के कदम लगातार आगे बढ़ते रहे।
मुजफ्फरपुर का वर्तमान नाम ब्रिटिस काल के राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा है। 1972 तक मुजफ्फरपुर जिले में शिवहर, सीतामढी तथा वैशाली जिला शामिल था। मुजफ्फरपुर को इस्लामी और हिन्दू सभ्यताओं की मिलन स्थली के रूप में भी देखा जाता रहा है। दोनों सभ्यताओं के रंग यहाँ गहरे मिले हुये हैं और यही इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान भी है।

भूगोल

मौसम

मुजफ्फरपुर का मौसम गर्मियों में, अप्रैल से जून, महीनों के बीच अत्यंत गर्म एवं नम रहता है (28/40 °C,90% अधिकतम्)। इसके मुकाबले सर्दियां काफ़ी सुखद एवं शीतल होती हैं।

मुज़फ़्फ़रपुर के जलवायु आँकड़ें
माह जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितम्बर अक्टूबर नवम्बर दिसम्बर वर्ष
औसत उच्च तापमान °C (°F) 22
(72)
26
(79)
32
(90)
37
(99)
44
(111)
40
(104)
36
(97)
33
(91)
32
(90)
32
(90)
29
(84)
24
(75)
32.3
(90.2)
औसत निम्न तापमान °C (°F) 06
(43)
12
(54)
17
(63)
22
(72)
25
(77)
27
(81)
26
(79)
26
(79)
26
(79)
22
(72)
15
(59)
07
(45)
19.3
(66.9)
औसत वर्षा मिमी (inches) 12
(0.47)
17
(0.67)
7
(0.28)
16
(0.63)
42
(1.65)
185
(7.28)
339
(13.35)
259
(10.2)
242
(9.53)
39
(1.54)
17
(0.67)
7
(0.28)
1,182
(46.55)
स्रोत: Muzaffarpur Weather

राजनीतिक विभाजन

प्रसिद्ध व्यक्ति

  • साहित्यकार : बाबू देवकी नंदन खत्री, दिनकर, रामबृक्ष बेनीपुरी, जानकी वल्लभ शास्त्री, अनामिका
  • लेखक : राय प्रभाकर प्रसाद (जन्म गाँव भरथआ, बाद में पटना में बसे)
  • स्वतंत्रता सेनानी: खुदीराम बोस, जुब्बा साहनीयोगेन्द्र शुक्ल,शुक्ल बंधु,रामसंजीवन ठाकुर, पण्डित सहदेव झा
  • राजनेता: चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह (नेपाल तथा जापान के राजदूत), पंजाब (भारत) तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे।
  • समाजसेवी: कालिका प्रसाद सिंह एक कुशल समाजसेवी , एक प्रखर वक्ता तथा बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी जिन्होंने JP आंदोलन के दौरान अपने जन्मभूमि रेवा लाठवर तोला, तथा कर्मभूमी मैंठी गायघाट, तथा मिठनपुरा मुज़फ़्फ़रपुर के युवाओं को एकत्रित कर आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । तथा ता उम्र समाज की सेवा की। श्री जय जय ठाकुर,(श्री मति इन्द्रा गांधी से 15 अगस्त 1983 सम्मानित)स्वतंत्रता सेनानी उनका कर्म भुमि घोसरमा औऱ तब का मुरौल अभी बंदरा के लोगो को एकत्रित कर आंदोलन किया
  • कृष्ण कुमार सिंह: अपने पिता कालिका प्रसाद सिंह के कुशल नेतृत्व में एक कुशल कार्यकर्ता के रूप में JP आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। जिसके दौरान प्रान्त के सभी जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्राँति विचारधारा के लोगो को एकत्रित कर गाँधी मैदान की ओर कूच किया तथा आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • रामेश्वर प्रसाद सन्हा - प्रसिद्ध राजनीति़ज्ञ तथा संविधान सभा के सदस्य, महेश प्रसाद सिन्हा, राम दयालु सिंह,
  • जार्ज फर्नान्डिस तथा जयनारायण निषाद- सांसद
  • हिन्दुत्व रक्षक साकेत शुभम् (श्री राम संजीवन ठाकुर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, मजदूर नेता के पौत्र और अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद् मोदफलपुर मुजफ्फरपुर के प्रथम अध्यक्ष
  • कलाकार : स्वाति शर्मा :- पार्श्व गायिका बन्नो तेरा स्वैगर तनु वेड्स मनु,
  • ऐश्वर्य निगम :- पार्श्व गायक मुन्नी बदनाम हुई फिल्म दबंग ।

पत्रकार :अवधेश कुमार

जो भारत और नेपाल दोनों जगहों में काम किये हुए है और दोनों देशों के लोग उन्हें सम्मान के साथ देखते है।

शिक्षण संस्थान

दर्शनीय स्थल

मुजफ्फरपुर में लीची गार्डन
  • बसोकुंड: जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली के निकट बसोकुंड में लिच्छवी कुल में हुआ था। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र है। यहाँ अहिंसा एवं प्राकृत शिक्षा संस्थान भी है।
  • जुब्बा साहनी पार्क: भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जुब्बा साहनी ने १६ अगस्त १९४२ को मीनापुर थाने के इंचार्ज लियो वालर को आग में जिंदा झोंक दिया था। बाद में पकड़े जाने पर उन्हें ११ मार्च १९४४ को फांसी दे दी गयी।[6] जिले के इस महान स्वतंत्रता सेनानी की याद में बनाया गया पार्क दर्शनीय है।
  • बा‍बा गरीबनाथ मंदिर: मुजफ्फरपुर के इस शिव मंदिर को देवघर के समान आदर प्राप्त है। सावन के महीने में यहाँ शिवलिंग का जलाभिषेक करने वालों भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
  • देवी मंदिर:
  • कोठिया मजार (कांटी)
  • शिरूकहीं शरीफ (कांटी):-तेगे अली शाह का मज़ार।
  • शहीद खुदीराम स्‍मारक:
  • मज़ार हज़रत दाता कम्मल शाह
  • मज़ार हज़रत दाता मुज़फ़्फ़रशाह इन्ही के नाम से जिला का नाम है
  • चामुडा स्थान, कटरा।
  • सूफी मौलाना इब्राहिम रहमानी मजार इस्लामपुर
  • छह्न्न्मास्तिका मन्दिर (कांटी)
  • मां मनोकामना मन्दिर (प्रतापपुर)
  • बाबाजी मनोकामनामहादेव ब्रह्म (प्रतापपुर)

आवागमन

हवाई मार्ग

यहाँ का सबसे नजदीकी पताही हवाई अड्डा जो ४ किलोमीटर पर अवस्थित है लम्बे समय से बंद परा है। सामान्य हवाई अड्डा ८० किलोमीटर दूर पटना में स्थित है। एक अन्य हवाई अड्डा दरभंगा में स्थित है जो सैनिक उद्देश्यों के लिए बना है।

रेल मार्ग

मुजफ्फरपुर भारतीय रेल के पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह शहर रेलमार्ग से भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से गोरखपुर और हाजीपुर या मोतिहारी होते हुए मुजफ्फरपुर पहुंचा जा सकता है। मुजफ्फरपुर उतर-पूर्व भारतीय राज्‍यों से भी ट्रेन माध्‍यम से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

मुजफ्फरपुर बिहार के अन्‍य शहरों से सड़क के माध्‍यम से अच्‍छी तरह से जुड़ा हुआ है। हाजीपुर से प्रारंभ होकर सोनबरसा (सीतामढी) जानेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग ७७ मुजफ्फरपुर होकर जाती है। लखनऊ से बरौनी को जोडनेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मुजफ्फरपुर से गुजरती है। इसके अलावे राष्ट्रीय राजमार्ग ५७ तथा १०२ एवं राजकीय राजमार्ग ४६ तथा ४८ भी यहाँ से गुजरती है। राजधानी पटना से मुजफ्फरपुर (78 कि॰मी॰) के लिए हाजीपुर होकर नियमित बस सेवाएं हैं। पड़ोसी जिलों के लिए भी मुजफ्फरपुर से अच्छी बस सेवा उपलब्ध है।

जलमार्ग

जिले के पश्चिमी सीमा से गुजरनेवाली गंडक नदी नौका गम्य है लेकिन मानसून के दिनों में यह परिवहन योग्य नहीं रहती।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ सूची

बाहरी कड़ियाँ

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