गढ़ मुक्तेश्वर
गढ़मुक्तेश्वर, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हापुड़ जिले का शहर एवं तहसील मुख्यालय है। इसे गढ़वाल राजाओं ने बसाया था। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर गढ़वाल राजाओं की राजधानी था; बाद में इसपर पृथ्वीराज चौहान का अधिकार हो गया।
गढ़मुक्तेश्वर | |
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नगर | |
![]() गढ़मुक्तेश्वर में बहती गंगा नदी | |
![]() ![]() गढ़मुक्तेश्वर उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर की स्थिति | |
निर्देशांक: 28.80°N 78.10°E | |
राष्ट्र | ![]() |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | हापुड़ |
नाम स्रोत | मुक्तेश्वर महादेव |
शासन | |
• प्रणाली | नगर पालिका परिषद |
• चेयरमैन | सोना सिंह |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 32 वर्ग किमी किमी2 (Formatting error: invalid input when rounding वर्गमील) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 46,077 |
भाषाएं | |
• आधिकारिक | हिन्दी |
समय मण्डल | आईएसटी (यूटीसी+5:30) |
पिन | 245205 |
टेलीफोन कोड | 5731 |
वाहन पंजीकरण | यूपी 37 |
वेबसाइट | http://www.nppgarhmukteshwar.com |
'गढ़मुक्तेश्वर' राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से १०० किलोमीटर दूर 'राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9' पर बसा है। गढ़मुक्तेश्वर मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है। विकास की दृष्टि से गढ़मुक्तेश्वर सबसे पिछड़ी तहसील मानी जाती है, किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला गंगा स्नान पर्व उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है।
शिवपुराण के अनुसार, यहाँ पर अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम 'गढ़मुक्तेश्वर' अर्थात् 'गणमुक्तेश्वर (गणों को मुक्त करने वाले ईश्वर) नाम से प्रसिद्ध हुआ।
पौराणिक महत्त्व
भागवत पुराण व महाभारत के अनुसार यह कुरु की राजधानी हस्तिनापुर का भाग था। आज पर्यटकों को यहाँ की ऐतिहासिकता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक सुन्दरता भी खूब लुभाती है। मुक्तेश्वर शिव का एक मन्दिर और प्राचीन शिवलिंग कारखण्डेश्वर यहीं पर स्थित है। काशी, प्रयाग, अयोध्या आदि तीर्थों की तरह 'गढ़ मुक्तेश्वर' भी पुराण उल्लिखित तीर्थ है। शिवपुराण के अनुसार 'गढ़ मुक्तेश्वर' का प्राचीन नाम 'शिव वल्लभ' (शिव का प्रिय) है, किन्तु यहाँ भगवान मुक्तीश्वर (शिव) के दर्शन करने से अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम 'गढ़ मुक्तीश्वर' (गणों की मुक्ति करने वाले ईश्वर) विख्यात हो गया। पुराण में भी उल्लेख है- गणानां मुक्तिदानेन गणमुक्तीश्वर: स्मृत:।
व्यापार
यह गंगा के जल मार्ग से व्यापार का मुख्य केन्द्र था। उन दिनों यहाँ इमारती लकड़ी, बाँस आदि का व्यापार होता था, जिसका आयात दून और गढ़वाल से किया जाता था। इसके साथ ही यहाँ गुड़ - गल्ले की बड़ी मंडी थी। यहाँ का मूढा़ (मूढ़ा— बाँस के कमची और मूज के सुतली से बना बैठने का गोलनुमा मचिया होता है) उद्योग भी अति प्राचीन है। यहाँ के बने मूढे़ कई देशों में निर्यात किये जाते हैं।
कैसे पहुँचे
सड़क मार्ग से
दिल्ली से यहाँ की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है। उत्तर प्रदेश रोडवेज की नियमित बसें आनन्द विहार, बस अड्डा, दिल्ली से चलती हैं।
रेल मार्ग से
गढ़ मुक्तेश्वर भारतीय रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है; यहाँ का नजदिकी रेलवे स्टेशन गढ़ मुक्तेश्वर है। बृजघाट रेलवे स्टेशन यहाँ से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली से यहाँ के लिए अनेकों रेलगाड़ियाँ हैं।
पर्यटन
गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा किनारे स्थित देवी गंगा को समर्पित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, गंगा मंदिर, मीराबाई की रेती, गुदडी़ मेला, बृज घाट, झारखंडेश्वर महादेव, कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ गंगा स्नान पर्व भी होता है।
शिक्षा
गढ़ मुक्तेश्वर में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा है। डी.एम पब्लिक स्कूल सबसे ज्यादा जाना माना स्कूल है