काइपर घेरा

काइपर घेरा, काइपर-ऍजवर्थ घेरा या काइपर बॅल्ट हमारे सौर मण्डल का एक बाहरी क्षेत्र है जो वरुण ग्रह (नॅप्ट्यून) की कक्षा (जो सूरज से लगभग ३० खगोलीय इकाई दूर है) से लेकर सूर्य से ५५ ख॰इ॰ तक फैला हुआ है।[1] क्षुद्रग्रह घेरे की तरह इसमें भी हज़ारों-लाखों छोटी-बड़ी खगोलीय वस्तुएँ हैं जो सौर मण्डल के ग्रहों के सृजनात्मक दौर से बची हुई रह गयी। काइपर घेरा का क्षेत्र क्षुद्रग्रह घेरे के क्षेत्र से २० गुना चौड़ा और २०० गुना ज़्यादा फैला हुआ है।[2][3] जहाँ क्षुद्रग्रह घेरे की वस्तुएँ पत्थर और धातुओं की बनी हुई हैं, वहाँ काइपर घेरे की वस्तुएँ सर्दी की सख्ती से जमे हुए पानी, मीथेन और अमोनिया की मिली-जुली बर्फ़ों की बनी हुई हैं।

काइपर घेरे की ज्ञात वस्तुएँ - मुख्य घेरे की वस्तुएँ हरे रंग में, घेरे की बिखरी हुई वस्तुएँ नारंगी रंग में, सौर मण्डल के चार बाहरी ग्रह नीले रंग में, वरुण (नॅप्ट्यून) के इर्द-गिर्द की वस्तुएँ पीले रंग में और बृहस्पति के इर्द-गिर्द की वस्तुएँ गुलाबी रंग में दिखाई गयी हैं

सौर मण्डल के ज्ञात बौने ग्रहों में से तीन - यम, हउमेया और माकेमाके - काइपर घेरे के निवासी हैं। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है के सौर मण्डल के कुछ प्राकृतिक उपग्रह भी इसी घेरे में जन्मे और घुमते-फिरते अपने ग्रहों के निटक पहुँच कर उनके गुरुत्वाकर्षण में फँस कर उनकी परिक्रमा करने लगे, जैसे की वरुण (नॅप्ट्यून) का उपग्रह ट्राइटन और शनि का उपग्रह फ़ीबी[4][5]

काइपर घेरे का नाम डच-अमेरिकी खगोलशास्त्री जेरार्ड काइपर के नाम पर रखा गया हालाँकि, वास्तव में खुद उन्होंने इसके अस्तित्व की भविष्यवाणी नहीं की थी। वर्ष 1992 में 1992 QB1, यम के बाद खोजा जाने वाला पहला काइपर घेरा वस्तु (केबीओ) था।[6] इसकी खोज के बाद से अब तक, ज्ञात काइपर घेरा वस्तुओं (केबीओ'स) की संख्या हज़ार से अधिक हो चुकी है और 100 कि॰मी॰ (328,084 फीट) से अधिक व्यास वाले 1,00,000 से अधिक केबीओ'स के होने का अनुमान है।[7] प्रारम्भ में यह सोचा गया था कि काइपर बेल्ट ही उन सावधिक धूमकेतुओं का भण्डार है जिनकी कक्षायें 200 सालों से कम अवधि वाली हैं। हालाँकि, नब्बे के दशक के बाद के अध्ययनों ने दर्शाया है कि यह घेरा गतिशीलता की दृष्टि से स्थायित्व वाला है, और धूमकेतुओं की उत्पत्ति का वास्तविक स्थल एक प्रकीर्ण डिस्क है जो नेपच्यून की बहिर्मुखी गति द्वारा 4.5 बिलियन वर्ष पूर्व निर्मित, गतिशीलता के दृष्टि से एक सक्रिय मंडल है;[8] इस प्रकीर्ण डिस्क के कुछ पिण्डों, जैसे कि ऍरिस इत्यादि, की विकेन्द्रता अत्यंत अधिक है और वे अपने परिक्रमा पथ में सूर्य से 100 AU तक की दूरी तक भी चले जाते हैं।[nb 1]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Alan Stern; Colwell, Joshua E. (1997). "Collisional Erosion in the Primordial Edgeworth-Kuiper Belt and the Generation of the 30–50 AU Kuiper Gap". The Astrophysical Journal. 490 (2): 879–882. डीओआइ:10.1086/304912. बिबकोड:1997ApJ...490..879S.
  2. Audrey Delsanti and David Jewitt. "The Solar System Beyond The Planets" (PDF). Institute for Astronomy, University of Hawaii. अभिगमन तिथि 2007-03-09.
  3. Krasinsky, G. A.; Pitjeva, E. V.; Vasilyev, M. V.; Yagudina, E. I. (2002). "Hidden Mass in the Asteroid Belt". Icarus. 158 (1): 98–105. डीओआइ:10.1006/icar.2002.6837. बिबकोड:2002Icar..158...98K. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  4. Johnson, Torrence V.; and Lunine, Jonathan I.; Saturn's moon Phoebe as a captured body from the outer Solar System, Nature, Vol. 435, pp. 69–71
  5. Craig B. Agnor & Douglas P. Hamilton (2006). "Neptune's capture of its moon Triton in a binary-planet gravitational encounter" (PDF). Nature. मूल (PDF) से 2007-06-21 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-06-20.
  6. NEW HORIZONS The PI's Perspective
  7. Levison, Harold F.; Donnes, Luke (2007). "Comet Populations and Cometary Dynamics". प्रकाशित Lucy Ann Adams McFadden; Paul Robert Weissman; Torrence V. Johnson. Encyclopedia of the Solar System (2nd संस्करण). Amsterdam; Boston: Academic Press. पपृ॰ 575–588. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-12-088589-1.
  8. Weissman and Johnson, 2007, Encyclopedia of the solar system, footnote p. 584
  9. IAU: Minor Planet Center (January 3, 2011). "List Of Centaurs and Scattered-Disk Objects". Central Bureau for Astronomical Telegrams, Harvard-Smithsonian Center for Astrophysics. अभिगमन तिथि January 3, 2011.
सौर मण्डल
सूर्यबुधशुक्रचन्द्रमापृथ्वीPhobos and Deimosमंगलसीरिस)क्षुद्रग्रहबृहस्पतिबृहस्पति के उपग्रहशनिशनि के उपग्रहअरुणअरुण के उपग्रहवरुण के उपग्रहनेप्चूनप्लूटो ग्रहकाइपर घेराएरिसबिखरा चक्रऔर्ट बादल
सूर्य · बुध · शुक्र · पृथ्वी · मंगल · सीरीस · बृहस्पति · शनि · अरुण · वरुण · यम · हउमेया · माकेमाके · एरिस
ग्रह · बौना ग्रह · उपग्रह - चन्द्रमा · मंगल के उपग्रह · क्षुद्रग्रह · बृहस्पति के उपग्रह · शनि के उपग्रह · अरुण के उपग्रह · वरुण के उपग्रह · यम के उपग्रह · एरिस के उपग्रह
छोटी वस्तुएँ:   उल्का · क्षुद्रग्रह (क्षुद्रग्रह घेरा‎) · किन्नर · वरुण-पार वस्तुएँ (काइपर घेरा‎/बिखरा चक्र) · धूमकेतु (और्ट बादल)
  1. The literature is inconsistent in the usage of the terms scattered disc and Kuiper belt. For some, they are distinct populations; for others, the scattered disc is part of the Kuiper belt. Authors may even switch between these two uses in a single publication.[9] Because the International Astronomical Union's Minor Planet Center, the body responsible for cataloguing minor planets in the Solar System, makes the distinction,[10] the current editorial choice for Wikipedia articles on the trans-Neptunian region is to make this distinction as well. This choice means that, on Wikipedia, Eris, the most-massive known trans-Neptunian object, is not part of the Kuiper belt, and this makes Pluto the most-massive Kuiper belt object.
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