मुज़फ़्फ़रनगर

मुज़फ़्फ़रनगर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का एक शहर है। ये मुज़फ़्फ़रनगर जिले का मुख्यालय भी है।

मुज़फ़्फ़रनगर
शहर
देश भारत
राज्यउत्तर प्रदेश
जिलामुज़फ़्फ़रनगर
जनसंख्या (2017)
  कुल5,75,548
भाषा
  आधिकारिकहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+५:३०)
पिन कोड251001
दूरभाष कोड0131
वाहन पंजीकरणUP 12

भूगोल

यह समुद्र तल से 237-245 मीटर ऊपर, दिल्ली से लगभग 116 किमी दूर, उत्तर प्रदेश के उत्तर में उत्तरी अक्षांश 29º 11' 30" से 29º 45' 15" तक और पूर्वी रेखांश 77º 3' 45" से 78º 7' तक स्थित है। यह राष्ट्रीय राज मार्ग 58 पर सहारनपुर मण्डल के अंतर्गत गंगा और यमुना के दोआब में, दक्षिण में मेरठ और उत्तर में सहारनपुर जिलों के बीच स्थित है। पश्चिम में शामली मुज़फ़्फ़र नगर को हरियाणा के पानीपत और करनाल से और पूर्व में गंगा नदी उत्तर प्रदेश के बिजनोर जिले से अलग करती है। मुज़फ़्फ़र नगर का क्षेत्रफल 4008 वर्ग किलोमीटर (19,63,662 एकड़) है। मुजफ़्फ़र नगर में पहली जनसंख्या 1847 में हुई और तब मुजफ़्फ़र नगर की जनसंख्या 537,594 थी। 2001 की जनसंख्या के अनुसार मुज़फ़्फ़र नगर जिले की आबादी 35,43,360 (18,93,830 पुरूष और 16,49,530 महिला, 26,39,480 ग्रामीण और 9,03,880 शहरी, 17,80,380 साक्षर, 4,78,320 अनुसूचित जाति और लगभग 90 अनुसूचित जनजाति) है और औसत 31,600 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर में रहते हैं। मुज़फ़्फ़र नगर जिले में 1 लोक सभा, 6 विधान सभा, 5 तहसिल, 14 खण्ड (ब्लोक), 5 नगर पालिकाएं, 20 टाऊन एरिया, 1027 गांव (2003-04 में केवल 886 गाँवों में बिजली थी), 28 पुलिस स्टेशन, 15 रेलवे स्टेशन (उत्तरी रेलवे, 1869 में रेलमार्ग आरम्भ हुआ) हैं। 2001 में 557 औघोगिक कम्पनियाँ और 30,792 स्माल स्केल कम्पनियाँ थी।

मुजफ्फरनगर से प्रकाशित दैनिक अमरीश समाचार बुलेटिन सांध्यकालीन समय का लोकप्रिय समाचार पत्र है। इसकी एक समाचार वेबसाईट है जहां पर आज मुजफ्फरनगर के सभी समाचार पढ सकते है।

इतिहास

इतिहास और राजस्व प्रमाणों के अनुसार दिल्ली के बादशाह, शाहजहाँ, ने सरवट (SARVAT) नाम के परगना को अपने एक सरदार सैयद मुजफ़्फ़र खान को जागीर में दिया था जहाँ पर 1633 में उसने और उसके बाद उसके बेटे मुनव्वर लश्कर खान ने मुजफ़्फ़र नगर नाम का यह शहर बसाया।

परन्तु इस स्थान का इतिहास बहुत पुराना है। काली नदी के किनारे सदर तहसिल के मंडी नाम के गाँव में हड़प्पा कालीन सभ्यता के पुख्ता अवशेष मिले हैं। अधिक जानकारी के लिये भारतीय सर्वेक्षण विभाग वहां पर खुदाई कार्य करवा रहा है। सोने की अंगूठी जैसे आभूषण और बहुमूल्य रत्नों का मिलना यह दर्शाता है कि यह स्थान प्राचीन समय में व्यापार का केन्द्र था। तैमूर आक्रमण के समय के फारसी इतिहास में भी इस स्थान का वर्णन मिलता है। शहर से छह किलोमीटर दूर सहारनपुर रोड़ पर काली नदी के ऊपर बना बावन दरा पुल, करीब 1512 ईस्वी में शेरशह सूरी ने बनवाया था। शेरशाह सूरी उस समय मुगल सम्राट हुमायूं को पराजित कर दिल्ली की गद्दी पर बैठा था। उसने सेना के लश्कर के आने जाने के लिये सड़क का निर्माण कराया था जो बाद में ग्रांट ट्रंक रोड़ के नाम विख्यात हुई। इसी मार्ग पर बावन दर्रा पुल है। माना जाता है कि इसे इसे उस समय इस प्रकार डिजाईन किया गया था कि यदि काली नदी में भीषण बाढ़ आ जाये तो भी पानी पुल के किनारे पार न कर सके। पुल में कुल मिला कर 52 दर्रे बनाये गये हैं। जर्जर हो जाने के कारण अब इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। वहलना गांव में शेरशाह सूरी की सेना के पड़ाव के लिये गढ़ी बनायी गई थी। इस गढ़ी का लखौरी ईटों का बना गेट अभी भी मौजूद है।

ग्राम गढ़ी मुझेड़ा में स्थित सैयद महमूद अली खां की मजार मुगलकाल की कारीगरी की मिसाल है। 400 साल पुरानी मजार और गांव स्थित बाय के कुआं की देखरेख पुरातत्व विभाग करता है। मुगल समा्रट औरगजेब की मौत के बाद दिल्ली की गद्दी पर जब मुगल साम्राज्य की देखरेख करने वाला कोई शासक नहंी बचा तो जानसठ के सैयद बन्धु उस समय नामचीन हस्ती माने जाते थे। उनकी मर्जी के बिना दिल्ली की गद्दी पर कोई शासक नहंी बैठ सकता था। जहांदार शाह तथा मौहम्मद शाह रंगीला को सैयद बंधुओं ने ही दिल्ली का शासक बनाया था। इन्ही सैयद बंधुओं में से एक का नाम सैयद महमूद खां था। उन्हीं की मजार गा्रम गढ़ीमुझेड़ासादात में स्थित हैं। जिसमें मुगल करीगरी की दिखाई पड़ती है। 400 साल पुरानी उक्त सैयद महमूद अली खां की मजार तथा प्राचीन बाय के कुयेंं के सम्बन्ध में किदवदन्ती है कि दोनो का निर्माण कारीगरों द्वारा एक ही रात में किया गया था। लम्बे समय तक मुगल आधिपत्य में रहने के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1826 में मुज़फ़्फ़र नगर को जिला बना दिया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शामली के मोहर सिंह और थानाभवन के सैयद-पठानों ने अंगेजों को हरा कर शामली तहसिल पर कब्जा कर लिया था परन्तु अंग्रेजों ने क्रूरता से विद्रोह का दमन कर शामली को वापिस हासिल कर लिया।

6 अप्रैल 1919 को डॉ॰ बाबू राम गर्ग, उगर सेन, केशव गुप्त आदि के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांगेस का कार्यालय खोला गया और पण्डित मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी, मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, सरोजनी नायडू, सुभाष चन्द्र बोस आदि नेताओं ने समय-समय पर मुज़फ़्फ़र नगर का भ्रमण किया। खतौली के पण्डित सुन्दर लाल, लाला हरदयाल, शान्ति नारायण आदि बुद्धिजीवियों ने स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने पर केशव गुप्त के निवास पर तिरंगा फ़हराने का कार्यक्रम रखा गया।मुजफ्फरनगर से दो किमोमीटर दूर एक गाँव हैं मुस्तफाबाद और इसके साथ लगा गाँव हैं पचेंडा , कहते हैं यह पचेंडा गाव महाभारत काल में कौरव पांडव की सेना का पड़ाव स्थल था , मुस्तफाबाद के पश्चिम में पंडावली नामक टीला हैं जहां पांडव की सेना पडी हुई थी तथा पूर्व में कुरावली हैं जहां कौरव की सेना डेरा डाले पडी थी , पचेंडा में एक महाभारतकालीन भेरो का मंदिर और देवी का स्थल भी हैं

जनसंख्या और कारोबार

मुज़फ़्फ़र नगर का क्षेत्रफल 4049 वर्ग किलोमीटर (19,63,662 एकड़) है। मुजफ़्फ़र नगर में पहली जनगणना 1847 में हुई और तब मुजफ़्फ़र नगर की जनसंख्या 537,594 थी। 2001 की जनगणना के अनुसार मुज़फ़्फ़र नगर जिले की आबादी 35,43,360 (18,93,830 पुरूष और 16,49,530 महिला, 26,39,480 ग्रामीण और 9,03,880 शहरी, 17,80,380 साक्षर, 4,78,320 अनुसूचित जाति और लगभग 90 अनुसूचित जनजाति) है और औसत 31,600 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर में रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मुजफ्फरनगर की कुल जनसंख्या 4138605 (पुरूष 2194540, महिला 1944065), लिंग अनुपात 886 तथा साक्षरता दर 70.11 (पुरूष 79.11, महिला 60.00) है

मुजफ्फरनगर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर है, चीनी, इस्पात और कागज के साथ अनाज यहाँ के प्रमुख उत्पाद है। यहाँ की ज़्यादातर आबादी कृषि में लगी हुई है जो कि इस क्षेत्र की आबादी का 70% से अधिक है। मुजफ्फरनगर का गुड़ बाजार एशिया में सबसे बड़ा गुड़ का बाजार है।

मुजफ्फर नगर में खतौली की पुली सम्पूर्ण भारत में महत्वपूर्ण है सबसे ज्यादा पृशिद है गन्ना भारत में सबसे अधिक पैदा होता है गन्ने के मिल भी सबसे ज्यादा संख्या में है

प्रमुख स्थल

पुरकाज़ी

यह एक उत्तराखंड बॉर्डर पर स्थित हे। यह स्थान सड़क जाम ओर चाट के लिए परसिद्ध हे। पुरकाज़ी को एनएच-58 दो भागों में बाँटता हे। पुरकाज़ी में उत्तर प्रदेश परिवहन का मेन अड्डा हे। इस के पास से गंगा नदी भी बहती हे।

शुक्रताल

यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रताल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस जगह पर अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पश्चात् केवल महर्षि सुखदेव जी ने भागवत गीता का वर्णन किया था। इसके समीप स्थित वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही सुखदेव जी भागवत गीता के बारे में बताया करते थे। सुखदेव मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षि‍त महाराजा सुखदेव जी से भागवत गीता सुना करते थे। इसके अतिरिक्त यहां पर पर भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्‍थापित है। इसके साथ ही इस जगह पर अक्षय वट और भगवान हनुमान जी की 72 फीट ऊंची प्रतिमा बनी हुई है। यह गंगा के किनारे बसा है। जहाँ देश विदेश से कई लाख प्र्य्ट्क आते है।

मुजफ्फरनगर

काली नदी के तट पर स्थित मुजफ्फरनगर शहर नई दिल्ली के उत्तर-पूर्व से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शहर की स्थापना खान-ए-जहां ने 1633 ई. में की थी। उनके पिता मुजफ्फरखान के नाम पर इस जगह का नाम रखा गया है।

खतौली

मुजफ्फरनगर स्थित खतौली एक शहर है। यह जगह मुजफ्फरनगर से 21 किलोमीटर की दूरी पर और राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। यहां स्थित जैन मंदिर काफी खूबसूरत है। इसके अतिरिक्त एक विशाल सराय भी है। इनका निर्माण शाहजहां द्वारा करवाया गया था। खतौली का नाम पहले ख़ित्ता वली था जो बाद में खतौली हो गया यहाँ त्रिवेणी शुगर मिल एशिया का सबसे बड़ा मिल है खतौली तहसील का सबसे मुख्य विलेज खेड़ी कुरेश है इस गांव में अनुसूचित जाति की संख्या का बाहुल क्षेत्र है अनुसूचित जातियो में चेतना पैदा करने में अग्रणी है

प्रमुख व्यक्तित्व

आवागमन

वायु मार्ग

यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा दिल्‍ली स्थित इंदिरा गांधी अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। दिल्ली से मुजफ्फनगर 116 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग

मुजफ्फरनगर रेलमार्ग द्वारा भारत के प्रमुख शहरों से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा मुजफ्फनगर पहुंचा जा सकता है। भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे नई दिल्ली, देहरादून, सहारनपुर और मसूरी आदि से यहां पहुंच सकते हैं।

शिक्षा-स्कूल-कॉलेज

यहॉ इस शहर में बहुत से प्रतिष्ठत स्कूल व कालेज हैं। शहर में एक निजी वित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेज और एक मेडिकल कॉलेज है। इन में शामिल हैं: गांधी पालीटेक्निक, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेद अनुसंधान केन्द्र, कृषि कॉलेज, कृषि विज्ञान केन्द्र, अस्पतालों, नेत्र अस्पताल, डिग्री कालेजों, इंटर कालेज, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों, नवोदय स्कूल, केन्द्रीय विधालय,, जूनियर हाई स्कूल, प्राथमिक स्कूलों, संस्कृत पाठशाला नयी राहे स्पेशल स्कूल(संचालित)भारतीय बाल एंव मानव कल्याण परिषद दिल्ली, ब्लाइंड स्कूल, योग प्रशिक्षण केन्द्र, अम्बेडकर छात्रावास, धर्मशाला, अनाथालय, वृद्वाआश्रम, बूढ़ी गाय के संरक्षण केन्द्र और कई अन्य आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र।

मुज़फ़्फ़र नगर से जुड़ी कुछ खास बातें -

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पहला फोटो स्टूडियो स्वर्गीय मोहम्मद गुफरान द्वारा वर्ष 1935 में मुज़फ्फरनगर में ही शुरू किया गया था जिसे अब उनके पुत्र गुलरेज़ गुफरान द्वारा चलाया जा रहा है।
  • पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली ख़ान मुज़फ़्फ़र नगर के निवासी थे।
  • मुजफ़्फ़र नगर जिले के भोपा के पास यूसूफ़पुर गांव के रमेश चन्द धीमान ने 3.12 मिली मीटर की कैंची और 4.50 मिली मीटर का रेजर बना कर गिनीज बुक और लिमका बुक में अपना नाम लिखा मुजफ़्फ़र नगर या।
  • मुगलकालीन किंग "मेकर" सैयद बन्धु जानसठ इलाके से ताल्लुक रखते थे।
  • 1952 में मुजफ़्फ़र नगर में पहली बार स्वतंत्र गणतंत्र के चुनाव हुए और उत्तरी मुजफ़्फ़र नगर से कांग्रेस के अजीत प्रसाद जैन और दक्षिणी मुजफ़्फ़र नगर से कांग्रेस के हीरा बल्लभ त्रीपाठी चुने गये।
  • स्व0 मुनव्वर हसन - संसद सदस्य कैराना (जन्म तिथि - 15 मई 1964) अपने 14 वर्ष के राजनितिक कार्यकाल में (1991-2005) 6 बार भारत के 4 सदनों विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्य रहे।
  • गाँव खेडी कुरैश के दलित व किसान नेता रमेश चन्द ने समाजिक चेताना में अहम भूमिका निभायी किसान नेता उघम सिहँ तिसंग बावना मंच ने किसानो में चेतना पैदा करने में अहम भूमिका रही !
  • मुजफ्फर नगरके निवासी मुरली सिंह (स्पीच थैरेपिसट) ने मूक-बधिर की शिक्षा में महत्वपूर्ण योग्यता हासिल की और जनपद के सैकड़ों युवा को जागरूक किया आज मुजफ्फर नगर के सैकड़ों युवा मूक बधिर की शिक्षा में प्रशिक्षण लेकर देश के सरमस्त राज्यों में कार्यरत है

इन्हें भी देखें

2013 ka muzaffarnagar danga janath road per ek upasthit vilage kawal se suru hua tha jo bad mai ek bahut bda roop leke pure desh or duniya mai aag ki terha fail gya tha, jiski wajha se pure desh mai bahur hani hui or janta mai hinsha ka bhau paida hua or apsi marpit hui jo ek desh ke liye bahur hi bhayanak baat hai

सन्दर्भ

https://asbtoday.com/topic/muzaffarnagar-news/

http://muzaffarnagar.nic.in/

बाहरी कड़ियां

This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.