बछेंद्री पाल
बछेंद्री पाल (जन्म 24 मई 1954), माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।[1]
बछेंयद्री पाल(bachendri pal) | |
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जन्म |
24 मई 1954 नकुरी उत्तरकाशी, उत्तराखंड |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | इस्पात कंपनी 'टाटा स्टील' में कार्यरत, जहाँ चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। |
प्रारंभिक जीवन
बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के एक गाँव नकुरी में सन् 1954 को हुआ। खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री ने बी.एड. तक की पढ़ाई पूरी की। मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला। जो मिला वह अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था। इस से बछेंद्री को निराशा हुई और उन्होंने नौकरी करने के बजाय 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' कोर्स के लिये आवेदन कर दिया। यहाँ से बछेंद्री के जीवन को नई राह मिली। 1982 में एडवांस कैम्प के तौर पर उन्होंने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई को पूरा किया। इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी। हालांकि पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने की वजह से उन्हे परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा।[2][3]
करियर
बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। उन्होने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत शृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान उनके द्वारा पूरा किया गया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान का प्रयास कहा जाता है।[4][5][6]
सम्मान/पुरस्कार
- भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन से पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक (1984)[7]
- पद्मश्री(1984) से सम्मानित।[8]
- उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्वर्ण पदक (1985)।
- अर्जुन पुरस्कार (1986) भारत सरकार द्वारा।
- कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड (1986)।
- गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (1990) में सूचीबद्ध।
- नेशनल एडवेंचर अवार्ड भारत सरकार के द्वारा (1994)।
- उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान (1995)।
- हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से पी एचडी की मानद उपाधि (1997)।
- संस्कृति मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार की पहला वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान (2013-14)[9][10]
सन्दर्भ
- "बचेंद्री पाल के बारे में दी गई जानकारी". दैनिक जागरण. लखनऊ. 3 मई 2012. अभिगमन तिथि 19 फ़रवरी 2014.
- Book: “Everest - My Journey to the Top”, an autobiography published By National Book Trust, Delhi
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- Indra Gupta (2004). India's 50 Most Illustrious Women. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-88086-19-1.
- "mystory". web.archive.org. अभिगमन तिथि 2014-02-19.
- "EverestHistory.com: Bachendri Pal". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.
- "Everest conquerors to the rescue! – Other Sports - More – NDTVSports.com". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.
- "Indian Mountaineering Foundation - Wikipedia, the free encyclopedia". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.
- "Padma Shri Awards (1980–89) - Wikipedia, the free encyclopedia". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.
- "Bachendri Pal gets MP 'Rashtriya Samman' - News Oneindia". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.
- "Bachendri Pal gets 'Rashtriya Samman' from MP Governor". अभिगमन तिथि 19 Feb 2014.