नरपति नाल्ह

नरपति नाल्ह पुरानी पश्चमी राजस्थानी की सुप्रसिद्ध रचना "वीसलदेव रासो" के कवि हैं। इस रचना में उन्होंने स्वयं को कहीं "नरपति" लिखा है और कहीं "नाल्ह"। सम्भव है कि नरपति उनकी उपाधि रही हो और "नाल्ह" उनका नाम हो। उनके जीवन से जुड़ी अधिकांश बातें जैसे कि उनका समय कब का है और वे कहाँ के निवासी थे, आदि अज्ञात हैं। "बीसलदेव रासो" की रचना चौदहवीं शती विक्रमीय की मानी जाती है। इसलिए नरपति नाल्ह का समय भी इसी के आस-पास का माना जा सकता है। वीसलदेव रासो अपभ्रंश हिंदी में लिखी मानी जाती हैI

This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.