केलिप्सो (चंद्रमा)

केलिप्सो (Calypso) (/kəˈlɪps/ kə-LIP-soh; यूनानी : Καλυψώ), शनि का प्राकृतिक उपग्रह है। यह 1980 मे डान पास्कु, पी कैनिथ सीडलमेन, विलियम ए बौम और डगलस जी क्युरी द्वारा भूआधारित प्रेक्षणों से खोजा गया तथा S/1980 S 25 पदनाम से नवाजा गया (1980 में खोजा गया शनि का 25 वां उपग्रह)।[3] बाद के महीनों में, कई अन्य छद्मवेषी प्रेक्षित हुए यथा : S/1980 S 29, S/1980 S 30,[4] S/1980 S 32,[5] और S/1981 S 2[6] 1983 में यह आधिकारिक तौर पर पौराणिक यूनानी पात्र केलिप्सो पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XIV या टेथिस C तौर पर भी नामित है।

केलिप्सो
कैसिनी से प्राप्त केलिप्सो की छवि
(13 फ़रवरी 2010)
खोज
खोज कर्ता
  • डान पास्कु
  • पी कैनिथ सीडलमेन
  • विलियम ए बौम
  • डगलस जी क्युरी
खोज की तिथि 13 मार्च 1980
उपनाम
विशेषण केलिप्सो
अर्ध मुख्य अक्ष 294,619 किमी
विकेन्द्रता 0.000
परिक्रमण काल 1.887802 दिवस
झुकाव 1.56° (शनि के विषुव वृत्त से)
स्वामी ग्रह शनि
भौतिक विशेषताएँ
परिमाण 30.2×23×14 किमी [1]
माध्य त्रिज्या 10.7 ± 0.7 किमी [1]
घूर्णन तुल्यकालिक
अक्षीय नमन शून्य
अल्बेडो1.34 ± 0.10 (ज्यामितीय) [2]

केलिप्सो की कक्षा टेथिस की कक्षा के लगभग बराबर है और यह टेथिस के पीछे ६० के अंश पर मौजूद रहते हुए शनि ग्रह की परिक्रमा करता रहता है। इस बात का पता सबसे पहले सीडेलमान ने १९८१ में लगाया। [7] टैलेस्टो (चंद्रमा) इसकी विपरीत दिशा में टेथिस से आगे ६० के अंश पर मौजूद रहता है और दोनो के आगे आगे चलता है। टैलेस्टो और केल्पिसो को टेथिस के ट्रोजन या ट्रोजन चंद्रमा भी कहते हैं। कुल ४ ज्ञात ट्रोजन श्रेणी के चंद्रमाओं में दो ये ही हैं।

शनि के अन्य चंद्रमाओं की तरह ही केलिप्सो भी बेतरतीब आकार का है। यहाँ उंचे नीची खाईयाँ, सतह पर ढीली अव्यव्स्थित मिट्टी पाई जाती है जिसकी वजह से इसकी सतह को दूर से देखने पर यह चमकदार और मुलायम मालूम पडता है।

चित्रमाला


सन्दर्भ

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