कर्नाटक संगीत

कर्नाटक संगीत या संस्कृत में कर्णाटक संगीतं भारत के शास्त्रीय संगीत की दक्षिण भारतीय शैली का नाम है, जो उत्तरी भारत की शैली हिन्दुस्तानी संगीत से काफी अलग है।

भारत का संगीत
शास्त्रीय संगीत
कर्नाटक संगीत
संगीतकार
पुरेन्द्र दास
त्रिमूर्ति
त्यागराज
मुत्थुस्वामी दीक्षितार
श्याम शास्त्री
वेंकट कवि
स्वाथि थिरूनल राम वर्मा
मैसूर सदाशिव राव
पतनम सुब्रमनिया अय्यर
पूची श्रीनिवास अयंगार
पापनाशम शिवन
गायक-गायिका
एम.एस. सुबलक्षमी
हिन्दुस्तानी संगीत
आधुनिक संगीत
फिल्मी संगीत
भारत का लोकसंगीत
अवधारणाएँ
श्रुति
राग
मेलकर्ता
सांख्य
स्वर
ताल
मुद्रा

कर्नाटक संगीत ज्यादातर भक्ति संगीत के रूप में होता है और ज्यादातर रचनाएँ हिन्दू देवी देवताओं को संबोधित होता है। इसके अलावा कुछ हिस्सा प्रेम और अन्य सामाजिक मुद्दों को भी समर्पित होता है।

जैसा कि आमतौर पर भारतीय संगीत मे होता है, कर्नाटक संगीत के भी दो मुख्य तत्व राग और ताल होता है।

कर्नाटक शास्त्रीय शैली में रागों का गायन अधिक तेज और हिंदुस्तानी शैली की तुलना में कम समय का होता है। त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और श्यामा शास्त्री को कर्नाटक संगीत शैली की 'त्रिमूर्ति' कहा जाता है, जबकि पुरंदर दास को अक्सर कर्नाटक शैली का पिता कहा जाता है। कर्नाटक शैली के विषयों में पूजा-अर्चना, मंदिरों का वर्णन, दार्शनिक चिंतन, नायक-नायिका वर्णन और देशभक्ति शामिल हैं।

कर्नाटक गायन शैली के प्रमुख रूप

वर्णम: इसके तीन मुख्य भाग पल्लवी, अनुपल्लवी तथा मुक्तयीश्वर होते हैं। वास्तव में इसकी तुलना हिंदुस्तानी शैली के ठुमरी के साथ की जा सकती है।

जावाली: यह प्रेम प्रधान गीतों की शैली है। भरतनाट्यम के साथ इसे विशेष रूप से गाया जाता है। इसकी गति काफी तेज होती है।

तिल्लाना: उत्तरी भारत में प्रचलित तराना के समान ही कर्नाटक संगीत में तिल्लाना शैली होती है। यह भक्ति प्रधान गीतों की गायन शैली है।

loda

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.